दोस्तों रात के समय जब चांद होता है तब उजाला अधिकतर सही रहता है और कई जगहों पर लाइट की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि चांद की रोशनी से ही वहां पर इतना प्रकाशित हो जाता है कि वहां पर लाइट की आवश्यकता नहीं होती है, इसी को देखते हुए चीन ने भी एक नया इनोवेशन किया है चीन के कई शहरों में खर्च हो रही बिजली को कम करने के लिए था जगह-जगह पर स्ट्रीट लाइट को हटाने के लिए चीन अपना खुद का आर्टिफिशियल चांद लांच करने की योजना बना रहा है।
चीन के इस खास आर्टिफिशियल चांद चंद्रमा की खासियत होगी कि यह जो हमारा पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है तो इस ग्रहों से इस उपग्रह से इनकी चंद्रमा से यह चीन के आर्टिफिशियल उपग्रह आर्टिफिशियल चंद्रमा की रोशनी 8 गुना ज्यादा होगी यह 80 किलोमीटर का इलाका रोशन करेगा।
चीन 2022 तक अपना आर्टिफिशियल चंद्रमा लॉन्च कर सकता है।
बता दें कि यह चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को परिवर्तित करके रोशनी देगा जिससे शहरी इलाकों में स्ट्रीट लाइट की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह चंद्रमा चीन के चेंगदू शहर को ध्यान में रखकर बनाया गया है अनुमान है कि इस चंद्रमा से चीन के चेंगदू शहर में 170 मिलियन डॉलर यानी कि 1.2 बिलीयन युवान की बिजली बचेगी।
इससे पहले भी हो चुके हैं प्रयोग : चीन का आर्टिफिशियल चंद्रमा कोई पहला प्रयोग नहीं है इससे पहले रूस भी एक ऐसी ही परियोजना पर काम कर चुका है हालांकि उस समय रूस इस परियोजना को सफल नहीं बना सका बता दें कि सन 1990 में रूसी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे विशालकाय दर्पण का इस्तेमाल किया था , हालांकि उसमें वह सफल नहीं हुए तो इस हिसाब से अगर चीन इस परियोजना में सफल होता है तो चीन ऐसा पहला देश बन जाएगा आर्टिफिशियल चंद्रमा को लॉन्च करने वाला।
आर्टिफिशियल चंद्रमा की मदद से चीन के ऐसे इलाकों को भी मदद पहुंचेगी जहां अभी तक बिजली नहीं पहुंची है और जहां स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई जा सकती है क्योंकि यह चंद्रमा सभी को कवर कर लेगा जिससे सभी जगह रोशनी आसानी से पहुंच जाएगी।
क्या होता है आर्टिफिशियल चंद्रमा : आर्टिफिशियल चंद्रमा ठीक ऐसा ही एक कृत्रिम उपग्रहों की भारतीय होता है लेकिन इसे आर्टिफिशियल ही तैयार किया गया है जिससे यह खुद को बेहतर बनाता रहेगा और कमांड के अनुसार और भी बेहतर कार्य करेगा। आर्टिफिशियल चंद्रमा की खास बात यह है कि इस की रोशनी प्रत्येक जगह पहुंच पाएगी जिन इलाकों में लाइट नहीं है वहां भी इस की रोशनी आराम से पहुंच जाएगी।